Acerca del Teli Engineers Welfare Association - TEACH
तेली, सनातन जाति है जिसका नामकरण वर्ण व्यवस्था के कर्म प्रधानता के कारण किया गया
तेली, सनातन जाति है जिसका नामकरण वर्ण व्यवस्था के कर्म प्रधानता के कारण किया गया है । इस जाति में कई महापुरुष हुए हैं ।
कुछ इतिहासकार चन्द्रगुप्त मौर्य को तेली जाति का मानते हैं । गुप्त काल में ही भारतवर्ष सोने की चिड़िया कहलाता था क्योंकि इस काल में शिक्षा, व्यवसाय एवं कौशल का विकास शिखर पर था । ऐसा विवरण प्राप्त है कि इस काल में पौराणिक ग्रंथों को लिपिबद्ध किया गया ।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तेली समाज से थे तथा वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी घांची तेली है । दानवीर भामाशाह को भी तैलिकवंशी मानते हैं ।
छत्तीसगढ़ में तेली जाति की बहुत सारी शाखायें हैं । इनके अपने अपने सामाजिक संगठन हैं ।
छत्तीसगढ़ में 1931 के जनगणना के आधार पर 11.8% तेली हैं जिसमे तेली जाति की सभी शाखायें शामिल हैं । वर्तमान में 6 विधायक (वर्ष 2018) एवं 2 सांसद (वर्ष 2019) समाज से हैं ।
छत्तीसगढ़ मूल के डिप्लोमा एवं स्नातक इंजीनियर विभिन्न संस्थानों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं एवं कई स्व-व्यवसायी इंजीनियर समाज को अपनी सेवाएं दे रहे हैं । इन सभी इंजीनियरों को एक मंच पर लाकर समाज के समग्र विकास के कार्य करने हेतु तेली इंजीनियर्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ (TEACH) का गठन किया गया है । इंजीनियर श्री हरी लाल साहू तेली समाज के प्रथम इंजीनियर है । इन्होंने जबलपुर शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज से 1959 में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की ।
तेली समाज के सभी इंजीनियर TEACH की सदस्यता ग्रहण करने हेतु आमंत्रित हैं । सभी तेली इंजीनियर जो छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ से बाहर एवं विदेशों में रहते हैं इस एसोसिएशन के सदस्य बन सकते है आशा है आप TEACH से जुड़कर, तेली समाज के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे ।
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