अंग संग दाती फिरे रक्षा करे हमेश | दुर्गा स्तुति पढ़ने से मिटते 'चमन' क्लेश | |
वर्ष 1951 में ब्रह्मर्षी पंडित श्री चमन लाल जी भारद्वाज 'चमन' के माध्यम से माँ भगवती की असीम अनुकम्पा द्वारा लिखित पुस्तक 'श्री दुर्गा स्तुति' जिसने संस्कृत के श्लोको को रसपूर्ण काव्य द्वारा पाठ योग्य बना कर जन मानस को एक आनंदमय उपहार दिया, अब आधुनिक समय की आवश्यकता अनुसार DIGITAL FORMAT में भी उपलब्ध है | माँ की इस पावन स्तुति से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद |
जिसे तेरी कृपा का अनुभव हुआ है |
वो ही जीव दुनिया में उज्ज्वल हुआ है | |
जगत जननी मैय्या का वरदान पाओ |
'चमन' प्रेम से पाठ दुर्गा का गाओ | |