Amarkosh | Sanskrit

Srujan Jha
Feb 7, 2024
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เกี่ยวกับ Amarkosh | Sanskrit

अमरकोशकेसंस्कृतकोशोंमेंअतिलोकप्रियऔरप्रसिद्धहै

अमरकोशकेसंस्कृतकोशोंमेंअतिलोकप्रियऔरप्रसिद्धहै इसेविश्वकापहलासमान्तरकोश (थेसॉरस्) कहाजासकताहै इसकेरचनाकारअमरसिंहबतायेजातेहैंजोचन्द्रगुप्तद्वितीय (चौथीशब्ताब्दी) केनवरत्नोंमेंसेएकथे कुछलोगअमरसिंहकोविक्रमादित्य (सप्तमशताब्दी) कासमकालीनबतातेहैं इसकोशमेंप्राय: दसहजारनामहैं, जहाँमेदिनीमेंकेवलसाढ़ेचारहजारऔरहलायुधमेंआठहजारहैं इसीकारणपंडितोंनेइसकाआदरकियाऔरइसकीलोकप्रियताबढ़तीगई

अमरकोशश्लोकरूपमेंरचितहै इसमेंतीनकाण्ड (अध्याय) हैं स्वर्गादिकाण्डं, भूवर्गादिकाण्डंऔरसामान्यादिकाण्डम् प्रत्येककाण्डमेंअनेकवर्गहैं विषयानुगुणंशब्दाःअत्रवर्गीकृताःसन्ति शब्दोंकेसाथ-साथइसमेंलिङ्गनिर्देशभीकियाहुआहै.अन्यसंस्कृतकोशोंकीभांतिअमरकोशभीछंदोबद्धरचनाहै इसकाकारणयहहैकिभारतकेप्राचीनपंडित "पुस्तकस्था' विद्याकोकममहत्वदेतेथे. उनकेलिएकोशकाउचितउपयोगवहीविद्वान्करपाताहैजिसेवहकंठस्थहो. श्लोकशीघ्रहोकंठस्थजातेहैं. इसलिएसंस्कृतकेसभीमध्यकालीनकोशपद्यमें हैं. इतालीयपडितपावोलीनीनेसत्तरवर्षपहलेयहसिद्धकियाथाकिसंस्कृतकेयेकोशकवियोंकेलिएमहत्त्वपूर्णतथाकाममेंकमआनेवालेशब्दोंकेसंग्रहहैं. अ रकोशऐसाहीएककोशहै

अमरकोशकावास्तविकनामअमरसिंहकेअनुसारनामलिगानुशासनहै नामकाअर्थयहाँसंज्ञाशब्दहै अमरकोशमेंसंज्ञाऔरउसकेलिंगभेदकाअनुशासनयाशिक्षाहै अव्ययभीदिएगएहैं, किन्तुधातुहैंनहीं धातुओंकेकोशभिन्नहोतेथे (काव्यप्रकाश, काव्यानुशासनआदि) हलायुधनेअपनाकोशलिखनेकाप्रयोजनकविकंठ-विभूषणार्थम्बतायाहै धनंजयनेअपनेकोशकेविषयमेंलिखाहै - मैंइसेकवियोंकेलाभकेलिएलिखरहाहूँ (कवीनांहितकाम्यया) अमरसिंहइसविषयपरमौनहैं, किंतुउनकाउद्देश्यभीयहीरहाहोगा

अमरकोशमेंसाधारणसंस्कृतशब्दोंकेसाथ-साथअसाधारणनामोंकीभरमारहै आरंभहीदेखिए-देवताओंकेनामोंमेंलेखाशब्दकाप्रयोगअमरसिंहनेकहाँदेखा, पतानहीं ऐसेभारीभरकमऔरनाममात्रकेलिएप्रयोगमेंआएशब्दइसकोशमेंसंगृहीतहैं, जैसे-देवद्रयंगयाविश्द्रयंग (3,34) कठिन, दुलर्भऔरविचित्रशब्दढूंढ़-ढूंढ़कररखनाकोशकारोंकाएककर्तव्यमानाजाताथा नमस्या (नमाजयाप्रार्थना) ऋग्वेदकाशब्दहै (2,7,34) द्विवचनमेंनासत्या, ऐसाहीशब्दहै मध्यकालकेइनकोशोंमें, उससमयप्राकृतशब्दभीसंस्कृतसमझकररखदिएगएहैं मध्यकालकेइनकोशोंमें, उससमयप्राकृतशब्दोंकेअत्यधिकप्रयोगकेकारण, कईप्राकृतशब्दसंस्कृतमानेगएहैं; जैसे-छुरिक, ढक्का, गर्गरी (प्राकृतगग्गरी) डुलि, आदि बौद्ध-विकृत-संस्कृतकाप्रभावभीस्पष्टहै, जैसे-बुद्धकाएकनामपर्यायअर्कबंधु बौद्ध-विकृत-संस्कृतमेंबतायागयाहैकिअर्कबंधुनामभीकोशमेंदेदिया बुद्धके 'सुगत' आदिअन्यनामपर्यायऐसेहीहैं

अपारकेहर्षसाथसूचितकररहाहूँकिइसअमरकोशग्रन्थकाएण्ड्रॉयडएप्लीकेशनअभीप्रस्तुतहै इसमेंवर्गकेअनुसारउनकेशब्दतथाशब्दोंकेपर्यायपदकोदर्शायागयाहै साथहीउपयोगकर्ताकेसौलभ्यहेतुसभीशब्दोंकाशब्दकल्पद्रुमतथावाचस्पत्यम्केसाथसाथवीलियममोनियरडिक्शनरीतथाआप्टेअंग्रेजीडिक्शनरीभीदियागयाहै हैआशाकिउपयोगकर्ताविद्वानअपनासहत्वपूर्णरायअवश्यदेंगे

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