دربارهی Sanskrit Pustakalaya
भवति
पुस्तक के कारण ही पंडित हो पाता है। भवति पण्डितः। के माध्यम से प्रत्येक के हाथ हाथ तक संस्कृत की पुस्तक पहुंचाने के लक्ष्य को पाने की अभिलाषा से मैं "ई-पुस्तक संग्रह" लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत हूँ
व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ज्ञान को संक्रान्त करने के लिए समय-समय पर अनेक आधारों का प्रयोग गया। डिजिटल दौर में ज्ञान के आधार में परिवर्तन समय की मांग है। दूरभाष यंत्र भी उनमें से है जिसके ، जिसके माध्यम से अब ईप्सित पुस्तक को पढ़ना संभव हो पा पा। इस ऐप में तक विकसित विकसित व रही अपनी विद्या परम्परा، परम्परा संस्कृत भाषा में लिखी गयी है، को लेकर आ "पुस्तक संदर्शिका" पर पुस्तक पढ़ने की सुविधा दिए जाने की मांग होती रही है। ऐप उस मांग की परिणति है।
अंतरजाल पर संस्कृत की लाखों पुस्तकें उपलब्ध हैं। पाठकों के लिए ही ، इंटरनेट के खिलाड़ी के लिए भी उनमें से वांछित पुस्तकों का चयन चयन। पर अनेक व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा संस्कृत पुस्तकों का पीडीएफ बनाकर उपलब्ध करा दिया गया है। से कुछ ही सुपाठ्य है। हमने उनमें से अपेक्षाकृत ، सभी पृष्ठों से न्यून ، न्यून वाले इस ، इस प्रकार अनेक मानदंड को ध्यान में सर्वाधिक पुस्तक के अनेक ، अनुवाद ، टीका उपलब्ध की स्थिति में उनमें से सर्वाधिक ख्याति लब्ध पुस्तकों पुस्तकों पुस्तकालय में शोध तथा सन्दर्भ सेवा प्रदान करने के अपने लंबे अनुभव का प्रभूत उपयोग यहां किया किया यह ऐप हजारों में से एक है। ऐप पुस्तक खोजने में लगने वाले आपके समय और ऊर्जा को करेगा एक، एक सुयोग्य पथदर्शक की भूमिका
पर यूनिकोड में अंकित भी उपलब्ध है है ، परंतु अभी उनमें काफी त्रुटियां हैं अथवा पीडीएफ की पुस्तकों में यह समस्या अत्यल्प होती अतः ، अतः पर पीडीएफ पुस्तकों का ही लिंक दिया दिया
की मांग पर इस संग्रह में अन्य पुस्तकों को भी जोड़ा जाता रहेगा। वांछित पुस्तक की प्राप्ति के लिए फीडबैक में पुस्तक तथा लेखक नाम आदि का उल्लेख करें।
प्रो. मोहन झा तथा उनके सुपुत्र श्री सृजन झा निर्बल के बल है है। मेरी यह अति महत्वाकांक्षी परियोजना आपके ही बल (तकनीकी दक्षता) के कारण आप तक पहुंच सकी। हाथों तक इसकी पहुंच प्रतिनायकों पर विजय की गाथा को भी अपने अंदर समेटे हुए हैं। एवं बहूपयोगी पुस्तकों के लिंक को अंतर्जाल से ढ़ूंढ़कर उपलब्ध कराने में सुश्री श्वेता गुप्ता، गुप्ता गुप्ता महनीय योगदान है।
ऐप का प्रत्येक प्रयोक्ता तथा यह संस्कृत संस्कृत ، संस्कृत के विस्तार में. झा ، श्रीमान् सृजन झा तथा सुश्री श्वेता गुप्ता के निःस्वार्थ तकनीकि योगदान के प्रति कृतज्ञ रहेगा।
इति शम्
विदुषामनुचरः
जगदानन्द झा
संस्कृत गृहम् ، कूर्माचल नगर ، लखनऊ
جدیدترین 1.2 چه خبر است
اطلاعات Sanskrit Pustakalaya APK
نسخههای قدیمی Sanskrit Pustakalaya
Sanskrit Pustakalaya 1.2
Sanskrit Pustakalaya 1.0
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