स्वदेशी उत्पादों का ही प्रयोग करे - भारत के कुटीर उद्योगों को बढावा
गाँव के सभी तरह के संसाधन शहर की ओर जा रहे हैं । गाँव के नौजवान क्या बूढ़े तक शहरों में काम करने के लिए जाते हैं और न्यूनतम मजदूरी पर काम करते हैं । शहरों में उनका शोषण ही होता है । इसलिए हमें लगने लगा कि अब हमें अपने आंदोलन की दिशा बदलनी पड़ेगी । अभी तक तो हमारे आंदोलन में केवल विदेशी कंपनियों के बहिष्कार की बात दिखाई देती थी । लेकिन अब आंदोलन में केवल विदेशी कंपनियों के बहिष्कार की बात दिखाई देती थी । लेकिन अब आंदोलन स्वदेशी उत्पादकों की फौज का निर्माण करने के लिए एक नई दिशा की ओर बढ़ने के लिए तैयार है । यह दिशा स्वदेशी और स्वावलंबन की दिशा होगी । जिसमें आंदोलन गाँव - गाँव में जाकर नौजवानों को स्वदेशी रोजगार के लिए तैयार करेगा और उन्हें अपने जीवनयापन के लिए आवश्यक आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लायक बनायेगा । इस अभियान में आंदोलन जगह - जगह स्वावलंबन शिविरों का आयोजन भी करेगा , जिसमें नौजवान प्रशिक्षित होकर निकलेंगे और देश भर में स्वदेशी की अलख जगाएंगे ।