Sant Shree Hariram Ji Shastri

Sant Shree Hariram Ji Shastri

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27/09/2016
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عن Sant Shree Hariram Ji Shastri

سانت شري Hariram جي شاستري

लोकप्रिय पुराण मर्मज्ञ व्याख्याता - संत हरिराम शास्त्री सतगुरु कूँ मस्तक धरै, राम भजन सूं प्रति रामचरण वै प्राणियाँ, गयो जमारो जीत।। भौतिक ताप से पीडि़त लोभ लालच ईर्ष्या कुंठा घुटन तनाव और अंधी प्रतिस्पर्धा से पीडि़त मानव समाज को सरस सरल सहन आत्मबोधक शैली में व्याख्यानों के माध्यम से सम्पूर्ण देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मानवता का संदेश प्रदान करने में सुप्रसिद्ध रामस्नेही संत अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त परम भक्त करुणामूर्ति संत हरिराम शास्त्री का वर्तमान भारतीय संत परम्परा में उल्लेखनीय स्थान है। साम्प्रदायिक पूर्वाग्रहों से मुक्त मानवीय भावनाओं से युक्त प्रकृति और पर्यावरण भी रक्षा हेतु समर्पित संत शिरोमणि हरिराम शास्त्री का व्यक्तित्व अत्यन्त ही प्रभावशाली और उनकी मुस्कान सम्मोहक है। वे वेद उपनिषद भागवत पुराणों के गम्भीर अध्येता चिन्तक और मनीषी विद्वान हैं। उनकी धाराप्रवाही व्याख्यान शैली से सहज ही में सह्रदय श्रोताओं के ह्रदय में श्रृद्धा एवं भक्ति की गंगा यमुना बहने लगती है। संवत 2029 अश्विन शुक्ल पंचमी नवरात्रि की शुभ बेला में जिला जोधपुर के देणोक ग्राम फलौदी में संत हरिराम शास्त्री जी का जन्म हुआ। मात्र दो वर्ष की आयु में ही पूर्व जन्मों के पुण्य स्वरूप गुरु शरणागति का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। परम श्रद्धेय एवं पूज्य श्री करुणाराम जी तथा श्री दौलतराम जी महाराज ने दीक्षा गुरु की भूमिका का निर्वहन किया। पूज्य मानदासजी महाराज फलौदी तथा वंदनीय रामायण पाठी श्री करुणारामजी ने शिक्षा गुरु का दायित्व निर्वहन किया। श्री हरिराम शास्त्री जी के आध्यात्मिक दर्शन की मुख्य चिंतन पीठ श्रीराम निवास धाम शाहपुरा भीलवाड़ा है। यहाँ वर्तमान में आचार्यपीठ को अनंत विभूषित जगदगुरु आचार्य स्वामी श्री 1008 श्री रामदयाल जी महाराज सुशोभित कर रहे हैं। शैशव शोर्यकाल से ही चिन्तन की गम्भीरताए आचरण की पवित्रताए चित्त की एकाग्रता और कर्म की शुद्धता से संत शिरोमणि हरिराम जी का आध्यात्मिक प्रभावमण्डल निरन्तर प्रसारित होकर व्यापक बनता रहा है। वे सहज ही जन जन के ह्रदयों में आकर्षण के केंद्र बन जाते हैं। मानवता की उपासनाए गौधन और निर्धनों की सेवा में नि:स्वार्थ समर्पण उनके ह्रदय में स्थित गुरु सेवा का ही प्रमाण है। डॉ. दीर्घराम राम स्नेही डॉ. हुकमदत्त शास्त्री गणेशीलाल सुथार रामेश्वर शर्मा जयकान्त शर्मा के पावन सानिध्य में विधाध्ययन करते हुए पंडित हरिराम शास्त्री ने धर्म शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। चिन्तक फलक से धार्मिक रूढि़यों सामाजिक आडम्बर साम्प्रदायिक संकीर्णताओं के अंधकार नष्ट हो गये और उगते हुए सूर्य के आलोक की तरह विचार और अभिव्यक्ति का मणकांचन योग श्रद्धालुओं का कष्टहार बन गया। परम पूज्य स्वामी सत्यभित्रानन्द जी जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर अवधेशानन्द गिरी जी श्री मुरारी बापू जी श्री भगतराम जी महाराज जैतारण रामस्वरूप महाराज बाड़मेर रामनिवास जी मंदसौर आदि मूर्धण्य भक्त ह्रदय एवं प्रवर वक्ताओं के संत हरिराम शास्त्री जी के लिए प्रेरणा का दिव्य स्रोत प्रवाहित किया है।गौ सेवा समर्पित संत शिरोमणि हरिराम शास्त्री जी ने गंगापुर कावरियाट रतलाम श्री गंगानगर इन्दौर नीमच बालोतरा इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में भागवत कथा के माध्यम से जन जन गौ सेवा का भाव जागृत किया।
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