Diese "soziale Anwendung" ist eine Sammlung von Haryanvi Ragni
यह "सोशल-एप्लीकेशन" हरियाणा के महामह सुर्सुर पंडित्लख की कीास विधा मेंा मेंागनियों का संकलन संकलन संकलन Dies ist eine automatische Übersetzung von 'तक्एप मेंा गया लगभगा लगभगा गया' सुर्सुर प. लख्लख ने अपने अपनेास मे गुरुाअरा, धन्म, संस्कृति रेम्दर्य, भक्ति को्रार, मे्मे परन्प्रस किया है, परन्परन आज्आज सा किय हरियाहरिय संस्संस और लोकसाहित्हित लुप्लुप होने केाक हरियाणवी सास्हित संरक्संरक अगर कोई आधुनिक तकनीक तकनीक जरिए दिन त के अंधकार मे ये अमूल्य रचनाये लुप्त हो जायेंगी और हमारे इन लोककवियों की अदभुत प्रतिभा का कोई महत्व व वजूद ही नही रहेगा | हरियाहरिय संस्संस और लोकसाहित्हित को आगेाबढ़ मे यह "सोशल-एप्लीकेशन" एक कड़ी का काक म और कवि की्जाञ गंगा को सदैव अमर | इस "सोशल-एप्लीकेशन" का मुख्य "उद्देश्देश हरियाणवी लोकसाहित्हित हरियाणवी साहित्हित ज्ञान से युवायुव्हित य्वाञ लीा पीढियां है है जिसके जरिये हरियाणा के महामह न कीाकवित को को-जन जन तका सकते सकते, इसलिए इसलिए "किय-एप्एप" को कोार किया गया है है