यह "सामाजिक-अनुप्रयोग" हरियाणवी रागनी का एक संग्रह है
यह "सोशल-एप्लीकेशन" हरियाणा के महान सुर्यकवि पंडित लख्मीचंद की संचित संग विधा में रागणियों का समापन है। इस एप्लिकेशन में मूलरूप से अब तक 16 सांगो की लगभग 1000 रागनियो और 70 के आसपास उपदेशक भजनों का संग्रह किया गया है। सूर्यकवि प। लखमीचंद ने अपने सांगो मे गुरु अराधना, धर्म, संस्कृति, लोक जीवन, नैतिकता, प्रेम सौन्दर्य, भक्ति को ग्रामीण रंगत मे रंगकर प्रस्तुत किया है, लेकिन आज के इस आधुनिक युग मे हरियाणवी साहित्यस की ओर युवा वर्ग की घटती रूचि के चलते हमारी धूमिल होती है। हरियाणवी संस्कृति और लोक नैतिकता लुप्त होने के कारण हरियाणवी साहित्यकार अगर कोई आधुनिक तकनीक के माध्यम से लिखित रूप नहीं देंगे तो एक दिन में त के अंधकार मे ये अमूल्य रचनाये लुप्त हो जायेंगी और हमारे इन लोककवियों की अदभुत प्रतिभा का कोई महत्व व वजूद ही नही रहेगा | हरियाणवी संस्कृति और लोक नैतिकता को आगे बढ़ाने वाला यह "सोशल-एप्लीकेशन" एक एपिसोड का काम करेंगी और कवि की ज्ञान गंगा को सदैव अमर रखगी | यह "सोशल-एप्लीकेशन" का मुख्य "उद्देश्य हरियाणवी लोकसाहित्यो जन-जन तक पहुंच गया ताकि समस्तजन हरियाणवी साहित्य ज्ञान से परिचित हो और आने वाली युवा पीढियां भी इस साहित्यिक ज्ञान को अर्जित कर सके। इस आधुनिक युग में सिर्फ तकनीकी ही एक ऐसा माध्यिम है। है जिसके अनुसार यदि हम हरियाणा के महान कवियों की कविताई को जन-जन तक पहुँचा सकते हैं, इसलिए इस "सोशल-एप्लीकेशन" को तैयार किया गया है।