संस्कृति परम्परा के निष्णात एवं आगमनिष्ठ विद्वानों को तैयार करना है।
जैन श्रमण संस्कृति संस्थान स्थापना एवं उद्देश्य: सांगानेर की पुण्यधरा पर श्री दिगम्बर जैन परंपरा के श्रीकुन्दकुन्दाम्नाय के मूलसंघ में श्रमण संस्कृति के उन्नायक व -दिवाकर जैनाचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल-आशीर्वाद से एवं उनके सुयोग्य शिष्य मुनिपुंगव 108 श्री सुधासागर Le 20 janvier 1997 (गुरुपूर्णिमा, वीर शासन जयन्ती) को समाजरत्न श्रेष्ठी श्रीमान् रतन लाल कंवरीलाल पाटनी (आर.के. मार्बल) सपरिवार किशनगढ वालों के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। की स्थापना का मुख्य उद्देश्य श्रमण संस्कृति परम्परा के निष्णात एवं आगमनिष्ठ विद्वानों को तैयार करना है।