श्रमण संस्कृति परम्परा के निष्णात एवं आगमनिष्ठ विद्वानों को तैयार करना है।
श्रीदिगम्बरजैनश्रमणसंस्कृतिसंस्थानस्थापनाएवंउद्देश्य: सांगानेरकीपुण्यधरापरश्रीदिगम्बरजैनपरंपराकेश्रीकुन्दकुन्दाम्नायकेमूलसंघमेंश्रमणसंस्कृतिकेउन्नायकवसम्यग्ज्ञान-दिवाकरजैनाचार्य 108 श्रीविद्यासागरजीमहाराजकेमंगल-आशीर्वादसेएवंउनकेसुयोग्यशिष्यमुनिपुंगव 108 श्रीसुधासागर जीमहाराजकीपावनप्रेरणासेतथासकलदिगम्बरजैनसमाजकेआर्थिकसहयोगसेश्रीदिगम्बरजैनश्रमणसंस्कृतिसंस्थानकीस्थापनाहुई, जिसकाशिलान्यास 13 अक्टूबर 1996 कोयुवारत्नश्रेष्ठीश्रीगणेशकुमारजीराणाकेसपरिवारकेद्वारातथाभव्यउद्घाटनदिनांक 20 जुलाई 1997 (गुरुपूर्णिमा, वीरशासनजयन्ती) कोसमाजरत्नश्रेष्ठीश्रीमान्रतनलालकंवरीलालपाटनी ( आर.के. मार्बल) सपरिवारकिशनगढवालोंकेकर-कमलोंद्वारासम्पन्नहुआ इस संस्थान की स्थापना का मुब्य उद्देश्य श्रमण संस्कृति परम्परा के निष्णात एवं आगमनिष्ठ संस्कृति परम्परा के निष्णात एवं आगमनिष्ठ विनाारैरानोनो