श्रमण संस्कृति परम्परा के निष्णात एवं आगमनिष्ठ विद्वानों को तैयार करना है।
श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान स्थापना एवं उद्देश्य: सांगानेर की पुण्यधरा पर श्री दिगम्बर जैन परंपरा के श्रीकुन्दकुन्दाम्नाय मूलसंघ में श्रमण संस्कृति संस्कृति उन्नायक व सम्यग्ज्ञान-दिवाकर जैनाचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल-आशीर्वाद से एवं उनके सुयोग्य शिष्य मुनिपुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज की पावन प्रेरणा से तथा सकल दिगम्बर जैन समाज के आर्थिक सहयोग से श्री दिगम्बर जैन संस्कृति संस्थान की स्थापना हुई , जिसका शिलान्यास 13 czerwca 1996 r. को युवारत्न श्रेष्ठी श्री गणेश कुमार जी द्वारा तथा भव्य दिनांक 20 czerwca 1997 (गुरुपूर्णिमा, वीर शासन जयन्ती) को समाजरत्न श्रेष्ठी श्रीमान् रतन लाल कंवरीलाल पाटनी (आर.के. मार्बल) सपरिवार किशनगढ वालों के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इस संस्थान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य श्रमण संस्कृति परम्परा के निष्णात एवं आगमनिष्ठ विद्वानों को तैयार करना है।