Shri shrichand sidhant sagar(I

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Oписание Shri shrichand sidhant sagar(I

उदासी रूप देने में सांईं मुरलीधर उदासी (रायपुर, छ.ग.) ने अथक परिश्रम किया है

उदासीनाचार्य श्री श्रीचंद्रदेव

संवत् श्री श्रीचंद्र जी महाराज का संवत् 51 51 1551 ग्राम शुक्ला नवमी के दिन तहसील के ग्राम ननकाना (ननकाना अब पाकिस्तान पाकिस्तान) में श्री गुरुनानकदेव सुलक्षणा सुलक्षणा के गर्भ गर्भ कतिपय विद्वानों के मत में आपका आविर्भाव सुल्तानपुर जिला कपूरथला पंजाब में हुआ था। धर्म गुरु अविनाशी मुनि ने उन्हें सम्प्रदाय सम्प्रदाय की देते हुए हुए संस्कृति संस्कृति संस्कृति के के के।।।। दार्शनिक श्री श्रीचंद्र उच्च कोटि के दार्शनिक, भाष्यकार, योगी, सन्तकवि तथा विचारक थे। साम्राज्यवादी साम्राज्यवादी, सामन्तवादी तथा महाजनी व्यवस्था से भिन्न भिन्न हुए हुए समाज को को का मार्ग दिखाया।। जन जनता के हृदय में आत्मविश्वास किया किया तथा मूल्यों मूल्यों मूल्यों उपदेश कर अनीति कदाचार से से जन जीवन जीवन जीवन चमक चमक और प्रदान की।।। थे केवल आध्यात्मिक साधक ही थे उन्होंने, उन्होंने समाज सुधार, राष्ट्रनिर्माण तथा मानव मात्रा की के सूत्र सूत्र व्यावहारिक रूप तिब्बत तिब्बत तिब्बत भूटान, सम्पूर्ण, सम्पूर्ण भारतवर्ष, नगर ठट्ठा, कंधार, तथा तथा उत्तर पश्चिमी सीमाप्रान्त के सुदूर की की यात्राएं यात्राएं की. ब्रह्मचर्य अखण्ड ब्रह्मचर्य, आत्म संयम, कठोर तप, वैदिक-पौराणिक उपदेश, चमत्कार पूर्ण कार्यों तथा लोक- हितकारी विचारों उन्होंने उन्होंने सद्धर्महीन को स्वधर्म स्वधर्म पाठ पढ़ाते हुए संगठित एवं श्रुति स्मृति अनुमोदित धर्म के द़ृढ़तापूर्वक पालन दी दी।।

मुस्लिम आक्रान्ताओं के कठोर व्यवहार से त्रस्त जीवन जीवन उन उन उपदेश मृत संजीविनी संजीविनी समान सुखकारी लगे। मध्यकाल के पतनोन्मुख समाज का भयावह चित्रण उनकी वाणियों में हुआ है। राजा, नवाब, जागीरदार, जमींदार, सरकारीअहलकार, कारिंदे, सिपाही, सिपाही, फकीर, फकीर, औलिया तथा महाजन सभी तो भोली भाली भाली को लूटने में लगे थे।। ही की दशा तो हीन थी ही, ग्रामों की दशा भी अत्यन्त शोचनीय थी। किसानों, मजदूरों, मजदूरों और कामगारों को मेहनत करने के भी भी दो की की रोटी नसीब न थी।

श्री श्रीचंद्रजी ने उनकी दयनीय दशा का चित्रण अपनी वाणी में किया है। इस द़ृष्टि से वह मध्यकाल के क्रान्तिकारी सन्त कवियों में अग्रणी हैं। जात जात-पाँत, ऊँच-नीच तथा छोटे बड़े के भेद को कृत्रिम बताया। आत्मा की एकता के सिद्धान्त की कर कर जहाँ के के के को व्यवहारिक व्यवहारिक वहाँ वैदिक वैदिक के सिद्धान्त सिद्धान्त इस्लामी एकेश्चरवाद के के सिद्धान्त अमान्य अमान्य कर।।। तर्क में उलझे पण्डितों से जन के साथ साथ आह्वान आह्वान आह्वान बौद्धिक बौद्धिक वितर्क को मात्र मात्र विलास विलास विलास सरोकारों सरोकारों सरोकारों के के लिए लिए रागात्मक की पर बल धर्म धर्म, पंथ या साम्प्रदायिक विद्वेष तथा तथा को को है है वह है वह वह वह अशुभ एक एक एक प्राणी है है है है है वह वह वह वह वह

-डॉ. विष्णुदत्त राकेश

आचार्य श्रीचंद्र की विचारधारा से उद्धृत

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