In the introduction of Matlaa Vida, Sital Prasad wrote Asati temple.
मताला पहुदा के एक संस्करण के परिचय में सितालप्रसाद ने लिखा कि १६२४ में उनकी उपयोग की गई पांडुलिपियों में से एक असाटी मंदिर में कॉपी की गई थी| नवलशाह चंदेरिया, जिन्होंने १७६८ ईस्वी में खटौरा में वर्धमान पुराण लिखा था, जिसमें ग्यारह व्यापारी समुदायों क