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सभी सत्संगी भाई- बहनों को सप्रेम जय श्री कृष्ण। आज हम लोग आपस में एक ऐसे ग्रन्थ की चर्चा करते हैं। जो बहुत गुढ़ होते हुए भी हम सब साधारण मानव के लिए इस कलिकाल में संजीवनी बूटी के समान है। यों तो भगवद् गीता पर अनेक टीकाए विद्वानों और संतो द्वारा पूर्व में की गई है। वह सब टीकाए भी हमारे लिए पूज्नीय है, पर हम जिस भगवद्गीता की टीका पर चर्चा करने जा रहे हैं वह टीका जीव मात्र के कल्याण के उद्देश्य से महापुरुषों ने अत्यन्त साधारण भाषा में लिखवाई है।